हिंदी की कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ BY हिंदी स्तंभ
SOME BEST LINES IN HINDI
हिंदी की कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ BY हिंदी स्तंभ
SOME BEST LINES IN HINDI
चख न लेना भूलवश, सागर का खारा नीर हूँ,
पीर सारी पी चूका हूँ, अब तो मैं बे-पीर हूँ।
हक़ से जुनूनी बात करके, हाथ में देकर कटारें,
खेल जाती है सियासत, वोट से हर दिन तुम्हारे।
क्यों निकल आये परिंदे, क्या निकलना था जरूरी,
मुफलिसी का ढोंग करके, ओढ़ कर दामन फकीरी।
जीवनों की आख्या है, प्रेम-तर्पण से सुसज्जित,
धर्म की जो व्याख्या है, वेद-मन्त्रों में सुरक्षित।
तुमको क्यों लगने लगा, निस्तेज और निष्प्राण हूँ,
मद्द्तों के बाद समझा, मैं भी अब इंसान हूँ।
मुक्त होकर मुक्तकों से, रिक्त होकर चाह से,
प्रेम करने की उमर है, तो प्रेम कर इंसान से।
'सचिन श्रीवास्तव'
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