लॉकडाउन एवं गरीबी- कोविड-19
लॉकडाउन एवं गरीबी- कोविड-19
Poverty in India during corona virus and lockdown
प्रणाम,
सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है। भारत भी इस माहमारी से अछूता नहीं है। इस से बचाव को लॉकडाउन और गरीबी दोनों प्रारम्भ हो चुके हैं।एक तो लॉकडाउन ऊपर से गरीबी। गरीबी तो सदियों से चली आ रही है किंतु लॉकडाउन ने उन गरीबों की हालत और बदतर कर दी।
दुनियाँ के साथ आप भी निसंदेह अपने घरों में होंगे, सुरक्षित, परिवार के साथ, हॅसते-खेलते। अवश्य रहें, किन्तु यह समय आपके घर की दरो-दीवार बनाने वालों का सहारा बनने का है। इस देश के स्तंभ गरीब, किसान, मजदूर ही हैं। आखिर, भारत को भारत यही तो बनाते हैं।
"घर पर रहें" (#stayathome) कोरोना बचाव का सटीक उपाय है परन्तु उनके लिए क्या, जो अंबर को छत बनाकर सोते है? अनगिनत लोग आज भी देश में हैं जिनके पास न खाने का ठौर है, न रहने का ठिकाना। कोई उनके घरों में जलते हुए उस दीपक को नहीं देखने पहुचंता जो जर्जर अवस्था में भी प्रज्ज्वलित है। कोई उनकी उजाड़ झोपडी नहीं देखता जिनमे 'सामाजिक दूरी' की धज्जियाँ मजबूरीवश उड़तीं हैं। गगनचुम्बी इमारतों को आपकी आवश्यकता नहीं परन्तु झोपड़ियों को अवश्य है। क्या सारे महोत्सव बस उनके लिए, जिनके पास आर्थिक समस्याएं नहीं हैं।
परन्तु कभी-कभी कई प्रश्न रुपी ज्वार उभरते हैं कि क्या इतने वर्षों में व्यवस्थाएं गरीब को इतना योग्य भी नहीं बना सकीं कि यह कुछ माह भी आराम से गुजार सकें। व्यवस्थाओं पर गरीब की उलझनों के थप्पड़ की गूँज हमेशा सुनाई देती है। निर्धनता ऐसी परिस्थिति है जिसका अनुभव कोई भी, कभी नहीं करना चाहेगा। कई माध्यमों से आप भारत में गरीबी की स्थिति का स्वयं अवलोकन कर सकते हैं।
उनकी पहुंच न अच्छी शिक्षा पर है, न अच्छे स्वास्थ्य पर, न न्याय पर और न ही रोटी, कपड़ा और मकान पर। शब्दों और लेखो में ही सिमट कर रह गए हैं बस। सच तो यह है की अनगिनत लोग 'बुलंद भारत' के इस दौर में भी भूख से जूझते हैं। कभी उनकी खुश्क आँखों पढ़ने का दुस्साहस करियेगा, पेशानी की सिलवटें महसूस करियेगा, उनके फटे,मैले कपड़ों के बचे-खुचे रेशों से पूछियेगा, शायद हम यह समझ सकें कि उनका जीवन, सिर्फ जीवन नहीं बल्कि एक संघर्षयुक्त तपस्या हैं। बेशक वो आर्थिक स्तर पर निर्धन हो सकते हैं पर स्वाभिमानी रूप से कहीं अधिक धनाढ्य हैं।
अनुभव कीजियेगा, प्रातःकाल से लेकर सायंकाल तक अपने जीवन में इनका योगदान। यदि इनका मान नहीं कर सकते तो अपमान भी नहीं करना चाहिए। वह अपने पसीने से हमारे एवं अपने जीवन को सींचते है. हमसे मांगते नहीं। फिर हमें क्या अधिकार कि हम उनका तिरस्कार करें। हम उनके साथ उठना-बैठना तक पसंद नहीं करते, क्यों? हमारा सामाजिक स्तर हमें इजाजत नहीं देता या वो इस लायक नहीं है, अरे! उनकी इस स्थिति का जिम्मेदार वो नहीं बल्कि कहीं न कहीं हम ही हैं।
यह समय सिर्फ बातों,वादों और दिखावे का बिलकुल भी नहीं। निश्वार्थ भाव से सेवा का है।
आर्थिक सम्पन्न व्यक्ति की तरफ ध्यान दें या न दें परन्तु ऐसे ब्यक्ति/परिवार का अवश्य ध्यान रखें जिसे आपकी सबसे अधिक आवश्यकता है। अगली बार उनसे बात करने में शर्म आये तो शर्म अवश्य करना परन्तु उनपर नहीं, करना खुद पर, व्यवस्थाओं पर, सिस्टम पर, सरकारों पर।
कोरोना महामारी के चलते इस लॉकडाउन या आने वाले समय में जितने भी लॉक डाउन लगेंगे उन सबकी मार सिर्फ और सिर्फ गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों पर ही पड़ेगा। उम्मीद है कि आने वाले समय में कोरोना की स्थिति सुधर जाए अन्यथा इसका सबसे अधिक शिकार निर्धन ही होगा। लॉकडाउन के दौरान सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि गरीब तबके को स्वास्थ्य, भोजन आदि की दिक्क्त बिलकुल भी न हो। और सरकार सिर्फ कागजों पर ही न सुनिश्चित करे, धरातल पर भी करे। उनका जीवन अस्त -व्यस्त न हो। आखिर उन्हें भी पूरा हक है लॉकडाउन में घर पर रहने का क्योकि जान जोखिम में डालकर बाहर कोई नहीं जाता।
अंत में, जितने भी कर्मयोद्धा इस महामारी में अपनी जान जोखिम में करके आपकी एवं हमारी सेवा में दिन-रात एक किये हैं, ऐसे सभी कर्मवीरों को 'हिंदी स्तंभ ' की ओर से शत-शत प्रणाम। प्रभु से प्रार्थना है कि आपको एवं आपके परिवार को सुरक्षित रखे।
क्या इस आपदा को प्रकृति एवं इंसान के बीच तृतीय विश्वयुध्द की संज्ञा दी जा सकती है?
कृपया अपने विचारों से अनुग्रहित करें।
कुछ सेवा रुपी शब्द पंक्तियों के रूप .............
हिन्द बुलंद बनेगा तब,
निर्धन जब पर्व मनायेंगें।
प्राचीर हटे मध्य की फिर,
सकल रूप हो जायेंगें।
जंग है अब भूंख से,
जिद है जीत जायेंगें।
पुरषार्थ जगा अंतर्मन में,
किस्मत से भी लड़ जायेंगें।
अपने पौरुष का राजतिलक,
अंबर तक भी पहुँचाएंगें।
निश्वार्थ भाव से सेवा कर,
निर्धनता दाग मिटाएंगें।
हृदय श्वेत रखे अपना,
इंसान तभी कहलायेंगे।
निर्धनता रुपी रावण के,
जब शीश सभी कट जायेंगें।
सचिन 'निडर'
('हिंदी स्तंभ लॉकडाउन का पालन करने के लिए आपसे निवेदन करता हैं।)
6 Comments
Kya bat
ReplyDeletedhanyawad
DeleteGood
ReplyDeletedhanyawad
Deleteबिल्कुल सटीक लिखा आपने। मै आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूं।
ReplyDeletedhanyawad
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