आतंकवादी गतिविधियों का देश - नापाक पाकिस्तान
आतंकवादी गतिविधियों का देश - नापाक पाकिस्तान
आतंकवादी गतिविधियों का देश - नापाक पाकिस्तान
आजादी के बाद जबसे पाकिस्तान का उदय हुआ तबसे लेकर आज तक न उसमे कोई सुधार आया है और न ही आने की कोई उम्मीद है। सभी पड़ोसी देश अगर ऐसे हो तो समूल विश्व खतरे में पड़ सकता है। नाम में भले ही 'पाक' हो लेकिन हरकतें और इरादे सरासर नापाक। जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है, तब भी पाकिस्तान अपनी कायराना हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। जितनी बार भी उसने भारत की माटी से जने बेटों से लोहा लेने की कोशिश की है, हमेशा मुँह की ही खानी पड़ी है। चाहे 65 की बात करें, 71 की या 99 की हमेशा ही पीठ दिखाकर भागता ही दिखता है। फिर भी हर बार हिमाकत करता ही रहता है। वो जानता है की हिंदुस्तान के सपूतों से सामने की लड़ाई बेहद मुश्किल है इसीलिए हर बार धोखे से वार करता है फिर भी हमारे हिंदरक्षक उसे उसकी बुजदिली का एहसास करा ही देते है। उसे अपने यहां की भुखमरी और लाचारियों से लोगों को बचाने के लिए पैसे नहीं है परन्तु आतंकवाद पालने के लिए सारी सुविधाएँ उपलब्ध कराएगा।
आतंकवाद एवं पाकिस्तान
अगर कहा जाये की पाकिस्तान आतंकवादियों के आश्रय का सुरक्षित ठिकाना है तो गलत नहीं होगा। शायद यह कथन कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता की आतंकवाद और पाकिस्तान का चोली दामन का साथ है। ये कोई आरोप नहीं बल्कि हकीकत है। प्रारंभिक वर्षों से ही पाकिस्तान नामक खेतों में दहशतगर्दी की फसलें लहलहातीं रहीं है। जिनकी जड़ें बेहद मजबूती से वहां की धरती में जमीं हुई हैं। और यह जगत विख्यात है जिसके प्रमाण भी पाकिस्तान ने कई-कई बार खुद ही दिए हैं। आतंकवाद के साये में पाकिस्तान ढंग से न तो फल पा रहा है और न फूल पा रहा है। पाकिस्तान को ये कहना छोड़ देना चाहिए कि वो आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देता। पाकिस्तान अपने अंदर आतंकवाद नामक बीमारी को पालता भी है और उसे पनपने भी देता है। शायद वो भूल जाता है कि अगर बीमारी का इलाज़ ढंग से न किया जाये तो पूरे शरीर को खोखला करके अंततः खत्म कर देती है। यह बीमारी हमारे देश तक न पहुंचे इसके लिए हमारे रणबांकुरे इस बीमारी का डॉक्टर बनकर जड़ से मिटाने का मुकम्मल इलाज़ प्रदान कर रहे हैं।
वार्ता
एक लम्बे अरसे से भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र का फ़र्ज़ निभाते हुए शांतिवार्ता के मार्ग का पथ प्रशस्त करता रहा है। परन्तु ऐसे देशों से शान्ति की उम्मीद करना बेमानी ही होगी जिनकी फिजाओं तक में आतंकवाद का हलाहल पनपता हो। जिनके सुर दहशतगर्दों के सुर से मिल चुके हों, जिनके समझौते मुल्कों से न होकर आतंकवादियों से हो, उधार के हथियारों से दहशत फैलाना जिनका मकसद बन चुका हो वो क्या समझेंगें शांति की भाषा। इतिहास गवाह है, पाकिस्तान में प्रधानमंत्री कोई भी हो पर रवैया हमेशा धोखा ही रहता है। यज्ञ रुपी न जाने कितनी ही वार्ताओं के बीच भी देश ने न जाने कितने बेटों की आहुतियां दे दी। इन आहुतियों पर वार्ताओं का यज्ञ निश्चित ही शहादत का अपमान होगा। क्योकि पाकिस्तान सिर्फ गोलियों की भाषा समझता है, यह हम जितनी जल्दी समझ जायेगें उतना ही अच्छा होगा। शांतिप्रिय देश होने के नाते हम भी युद्ध के पक्षधर नहीं है परन्तु अब धैर्य समाप्ति की ओर अग्रसर है।
भारत में पाकिस्तान
जब ऐसी ख़बरें देखने में आती है की अपने देश का अमुक व्यक्ति या समूह भारत विरोधी वार्ता करता है तो यकीनन बेहद तकलीफ होती है। जिस थाली में खाया जाता है, उसमे छेद नहीं किया जाता। ऐसे कृत्य करके सम्पूर्ण विश्व में निंदा का पात्र न बनायें। जिस हिन्द पर मर-मिटने को उसके बेटे तैयार रहते हैं उस से गद्दारी हरगिज बर्दाश्त के बाहर है। जिस देश ने तुम्हे जन्मा, जिसकी हवाओं पर तुम्हारा जीवन निर्भर है, जिसकी मिटटी में खेल कर बड़े हुए, जहाँ की धरती अपना सीना चीर कर हमारा पेट भरती है, जिसकी संस्कृति का सम्पूर्ण विश्व कायल है वहां यह सब बर्दाश्त के बाहर है। हमें स्वयं को भाग्यशाली एवं गौरवान्वित समझना चाहिए कि हमारा प्रादुर्भाव भारतवर्ष की धरा पर हुआ है।
तुलनाएं
कई खबरिया चैनल हर बात के लिए भारत की पाकिस्तान से तुलना कर बैठते है। इन्हे यह समझना चाहिए कि तुलना बराबर वालों में होती है, पैरों की धूल से नहीं। भारत के सामने पाकिस्तान की हैसियत क्या है यह सम्पूर्ण विश्व को भलीभांति मालूम है। तो हम क्यों उसपर बात करके या डिबेट कर के उसकी कीमत बढ़ा देतें है। बेहतर होगा कि उसपर हम बात करके अपना समय न बर्बाद करें। माना कि आपकी ड्यूटी है विश्व भर की खबरे दिखाना परन्तु पाकिस्तान जैसे घटिया मानसिकता वाले देश पर कम से कम ही ध्यान दिया जाये तो अच्छा है। बाकी सीमाओं पर डटे हुए इस देश के सपूत तो हैं ही उसे उसकी ही भाषा में जबाब देने के लिए। एक बात हमेशा याद रखियेगा कि भारत विश्व का सिरमौर है, विश्वगुरु है, था और हमेशा ही रहेगा।
वैश्विक बहिष्कार
सम्पूर्ण विश्व राष्ट्रों को पाकिस्तान का बहिष्कार करना चाहिए एवं प्रतिबंध लगाने चाहिए। हांलांकि यह देखा गया है की अलग-थलग पड़ने के बाद भी इस नापाक देश की हरकतें वैसी ही रहतीं हैं। और यह भी देखा जाता है कि कुछ देश भी उसे आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते रहते हैं। वैसे पाकिस्तान का आतंकवाद अधिकतर भारत पर ही केंद्रित रहता है जिसकी वजह से वैश्विक मंचों पर अन्य देश हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। वैसे उनको कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं क्योकि भारत खुद इतना प्रभुता संपन्न है की खुद ही ऐसे ढीठ देशों से निपट सकता है।
सलाम
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सलाम है हमें अपने अभिनंदनों और हमीदों पर। हमें गर्व है अपने देश की रक्षा का प्रण लिए हमारे शौर्यवान बेटों पर कि वह इसकी प्रत्येक हिमाकत का मुहतोड़ जबाब देना बखूबी जानते हैं। इसलिए जब तक वो सीमाओं पर हैं, हम देश के अंदर सुरक्षित रहते हैं। भारत माँ कि मिटटी में ही कोई बात है की उसके लाडले इस देश पर जान न्योछावर करने में हमेशा तत्पर रहते है परन्तु उनकी जान बेहद कीमती है देश के लिए। आतंक से मुकाबला करते हुए कभी-कभी हमारे प्रहरी अपनी मातृभूमि पर अपनी जान की आहूति भी दे देते है। आपकी शहादत भारत के प्रत्येक व्यक्ति पर एक कर्ज है। ऐसे बलिदानी बेटों का देश हमेशा ही कर्जदार रहेगा। देश के प्रत्येक सैनिक को एवं इस धरा पर अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले प्रत्येक शहीद को हमारा दंडवत प्रणाम।
जय हिन्द।
नापाक-पाक
सुनों धरा के वीर सपूतों, यह कैसा पाक पड़ोसी है।
जांबाजों पर हमले रच-कर, दी इसने हमें चुनौती है।
सुहाग उजड़ गए बहनों के, हाय! माताओं के लाल गए।
आतंक नाम नापाक पाक का, सब भारतवासी जान गए।
आतंक नाम को सुन-सुनकर, अब लहू उबलता जाता है।
आतंक नाम को सुन-सुनकर, अब लहू उबलता जाता है।
दहशत के इस संरक्षक के, नाता न कोई रह जाता है।
आतंकी और संरक्षक का, मिलकर के बहिष्कार करें।
दहशतगर्दों से मिली चुनौती, हम सब अब स्वीकार करें।
क्यों शांति वार्तालाप करें, आखिर क्यों इस पर लट्टू हैं।
क्यों शांति वार्तालाप करें, आखिर क्यों इस पर लट्टू हैं।
जाने है विश्व सदा इसको, जो आतंकवाद का टट्टू है।
रौंदेंगें इसको हम सब, अब इसकी ही धरती पर।
जाने कितने आतंक चढ़े है, पाक नाम की कश्ती पर।
तब तक ना तीज मनायेंगें, आज शपथ मिलकर लें लें।
जब तक धरती के नक़्शे से, आतंकवाद न मिटा लेंगें।
सचिन 'निडर'



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