आँसू है नारी का शूल - हिंदी कविता
आँसू है नारी का शूल - हिंदी कविता
आँसू को समझा जाता है,एक दरिया खारे पानी का।आँसू है दुःख का परिचायक,आँसू है काँटा नारी का।इतिहास है अद्भुत नारी का,
जो नारी शक्ति कहाती है।
दिल चीत्कार कर उठता है,
नारी जो अश्रु बहाती है।
ममता की छाँव ने नारी की
नर को पाला-पोसा है।
देख के इस जालिम छवि को,
ममता का आँचल रोता है।
नारी के रूप कई बुन गए,
नारी है नरम भाव का फूल।
तक़दीर न आँसू नारी का,
आँसू है नारी का शूल।
इन आँसू की बूंदों का,
बदला लेंगे गिन-गिन कर।
आओ, नारी के शूलों को
दूर करें हम सब मिलकर।
सचिन 'निडर'
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