राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा
राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा
देकर लहू शहीदों का, सींचा गया हूँ मैं,
लिपटा शहीद जिस्म से, महका गया हूँ मैं,
देकर लहू शहीदों का, सींचा गया हूँ मैं।
इस मांटी से जन्मा हूँ, इस देश का वंदन हूँ,
राष्ट्र-शत्रुओं की खातिर, भारत-अभिनंदन हूँ,
हिन्द की पहंचान हूँ, वीरों का मंत्र जाप हूँ,
शौर्यों के उन मंत्रों से, पूजा गया हूँ मैं,
देकर लहू शहीदों का, सींचा गया हूँ मैं।
मेरे हर एक कतरे में, वीरों का सौरभ है,
तीन रंग की परिधि में, भारत का गौरव है,
मुझ पर बलिहारी होते है, बेटे वो मेरी शान पर,
हांथो में अपने बेटों के, लहरा रहा हूँ मैं,
देकर लहू शहीदों का, सींचा गया हूँ मैं।
मेरा केसरिया रंग समेटे, गाथाएं बलिदानों की,
श्वेत रंग हर पल दोहराये, बातें विश्व-शांति की,
रंग हरा हरियाली वाला, चक्र सिखाये बढ़ते जाना,
देशप्रेम की क्रांति बनकर, फहरा रहा हूँ मैं,
देकर लहू शहीदों का, सींचा गया हूँ मैं।
सचिन 'निडर'
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