दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
शुभ दीपोत्सव
दीपावली के शुभ अवसर पर दो कवितायेँ
वैसे तो मैंने इस दिन पर,
खुशियों को पलते देखा है।
पर कुछ नन्ही सी आंखों में,
दीवाली को मरते देखा है।
रोशनी बेचारे क्या देखे,
जिनका जीवन ही अंधेरा है।
उम्मीदों के चरागों के मैंने,
दीपों को बुझते देखा है।
चलो चलें कुछ फ़र्ज़ निभाएं,
हिंदुस्तानी होने का।
करे प्रतिज्ञा इस दीवाली,
चेहरों पर खुशियां लाने का।
सचिन 'निडर'
जगमग करती दीवाली पर,
साथ सभी को लाना है।
किसी एक गरीब झोपड़ी में,
फिर दीप हमें भी जलाना है।
न रहे अंधेरा किसी जगह पर,
भारत के किन्ही मुंडेरों पर।
निर्धनता रूपी अंधकार से,
भारत मुक्त कराना है।
किसी एक गरीब झोपड़ी में,
फिर दीप हमें भी जलाना है।
आओ सब मिलकर शपथ करे,
माटी के दीप जलाएं हम।
अपने देश की पूज्य धरा पर,
फिर वही स्वदेशी लाना है।
किसी एक गरीब झोपड़ी में,
फिर दीप हमें भी जलाना है।
सचिन 'निडर
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