अभी सपनों में है कुछ जान बाकीं...
keep your dreams alive...
अभी सपनों में है कुछ जान बाकीं...
keep your dreams alive...
हिंदी कविता
अभी खामोश है कुछ लब हमारे,
अभी तौली नहीं ताकत हुनर की।
अभी सपनों में है कुछ जान बाकीं,
अभी हलचल भी है ईमान वाली।
अभी तुम न सुनोगे सुर हमारे,
अभी मगरूर हो खुद में ही इतने।
लिखी हर हर्फ़ में है एक कहानी,
अभी सौ दर्द शायद और बांकी।
मेरी हर रूह में शामिल है किस्से,
अभी फिर दर्द इनका कौन बांचे।
अभी हम है जरा किस्मत के मारे।
मगर हम हैं अभी आंखों के तारे।
मेरी हिम्मत को यूँ शक से न देखो,
नजारे फिर कभी दिखला ही देगें।
यह मेरी जिंदगी के रास्ते हैं,
अंधेरों को सदा ही छांटते हैं।
कभी दिल से सुनोगे तो कहेगें,
रंज हर एक दिखावे से हमें है।
बैठ किस्मत भरोसे हैं नहीं हम,
अभी सिरमौर दुनियाँ के नहीं हम।
सताएगी जमाने भर की चिंता,
जिओगे जब कभी दूजों की खातिर।
अभी तुम स्वार्थ में ही चल रहे हो,
कभी तपती दुपहरी में चले हो।
मेरी मुस्कान निश्छल है अभी तक,
तुम्हारी दिख रहीं मजबूर आंखें।
बड़ा जो नाज है इन दौलतों पर,
यकीं तो है मुझे मेरे हौसलों पर।
तुम्हारे पास है जितनी अमीरी,
मुझे उतनी ही प्यारी है फकीरी।
तुम्हारे सुर जो बदले से हुए हैं,
मेरे होठों को मेरे गम छुए हैं।
अभी जो हो हवा में उड़ रहे से,
मैं धरती में समाया सा हूँ पानी।
अभी जो लग रहा सब है गुलाबी,
मेरी तो जिम्मेदारी है सदा की।
मैं कांधो पर ले दूसरों का दर्द चलता,
तुम खुद की बस चंद खुशियाँ ढो रहे हो।
है क्या तुम्हारे अंतरों पर जो मैं सराहूं,
मैं सबके ही अहसास में घुलता चला हूँ।
तुम भूल बैठे सभ्यताओं का ककहरा,
हम जानते हैं संस्कारों को निभाना।
तुम आधुनिकता के हो पुतले मोम वाले,
हम छाँव ठंडी बरगदों की एक पुराने।
सचिन 'निडर'
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