प्रेम काव्य
प्रेम काव्य
सौ दर्द में है लिपटी,
तेरी मेरी कहानी।
आंखों के समंदर में,
सूखा हुआ सा पानी।
जीवन के तंग रस्ते,
कटते नहीं अकेले।
तन्हा गुजर रहे हो,
मेरे ही संग हो ले।
दिन तंग दर्द वाले,
तन्हा कहीं गुजारें।
सांसें जो बन्द होगीं,
फिर कौन पूंछे जांचे।
शिकवे हैं चंद बाँकी ,
बीते हुए समय पर।
एहसास रह गए हैं,
बाकीं मेरे हृदय पर।
बेकल सा मन हमारा,
तुमपर ठहर गया है।
विद्युत की तीव्र गति से,
हर पल गुजर गया है।
चलना था जबकि मुझको,
तनहा निपट अकेला।
हो साथ प्रीत तेरी,
हो साथ नाम तेरा।
विरह के रास्ते पर,
तपना भी तो पड़ेगा।
प्रीत की अगन में,
जलना भी तो पड़ेगा।
अब दूर यूँ न जाना,
इतने करीब आकर।
दिल में उमड़ रहे है,
प्रीतो के कई सागर।
दर्पण के जैसा नाजुक,
धागे के जैसा रिश्ता।
मन में बसा हुआ है,
पावन सा एक फरिश्ता।
सदियां गुजर गई हैं,
दशकों से है प्रतीक्षा।
पावन है प्रीत मेरी,
धैर्यों कि है परीक्षा।
जग में तो हैं उमंगें,
ह्रदयों में पीर सा है।
ओझल रहोगे कब तक,
नयनों में नीर सा है।
होनी थी जब मोहब्बत,
खुदगर्ज तब हुआ हूँ।
रख के अब उम्मीदें,
उम्मीद से गया हूँ।
सौ दर्द में है लिपटी,
तेरी मेरी कहानी।
आंखों के समंदर में,
सूखा हुआ सा पानी।
सचिन 'निडर'
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