मनुष्य की स्वयं की खोज- हिंदी कविता


मनुष्य की स्वयं की खोज- हिंदी कविता



Self-discovery




मनुष्य की स्वयं की खोज- हिंदी कविता


हम जीवन में बहुत कुछ पाना चाहते हैं – सफलता, पैसा, संबंध – लेकिन क्या कभी खुद से पूछा है, "मैं कौन हूं?"
यही प्रश्न हमें आत्म-खोज की ओर ले जाता है।
Self Discovery यानी खुद को जानने की यात्रा – एक ऐसी प्रक्रिया जो जीवन को गहराई से समझने का अवसर देती है।

आत्म-खोज का अर्थ है अपने विचारों, भावनाओं, मूल्यों, और जीवन के उद्देश्य को समझना।
यह केवल ध्यान करने या किताबें पढ़ने से नहीं होता, बल्कि अनुभव, असफलताओं और आत्म-चिंतन से होता है। खुद से मुलाकात है स्वयं की खोज कि आखिर मै हूं कौन?

एक लाजबाव ब्लॉग पढ़ें 



कविता


अंतर्मन में झाँक रहा हूँ, 
खुद को खुद में ढूंढ रहा हूँ। 
द्व्न्द छिड़ा है मानस में, 
दर्पण से भी पूंछ रहा हूँ। 

गूँज रहीं हैं चीखे मन में, 
खोज अभी तक जारी है।
समय चक्र जीवन का हूँ, 
पल दो पल में छूट रहा हूँ।  


युद्ध से मैं भी जूझ रहा हूँ, 
तीर-पीर का खींच रहा हूँ। 
शमशीरें हैं चली ह्रदय पर, 
लहू से जिनको सींच रहा हूँ। 

भावों से विह्वल ह्रदय मेरे, 
नयनों के सपने नए हुए। 
सेवा में समर्पित हो जाऊं, 
तभी लिखूंगा जीत रहा हूँ।


मन से पूँछ रहा हूँ निरंतर, 
लक्ष्य अभी तक खोज रहा हूँ।  
हार न मानूँगा जीवन भर, 
धूमिल परतें सब खोल रहा हूँ।
   
संघर्ष मृत्यु द्वार तक होगा, 
अडिग भरोसा कायम है। 
जब तक डोर सांस की है, 
सब परब्रम्ह से जोड़ रहा हूँ। 
                         सचिन 'निडर'














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