Hindi Poem on Journey of Life
Journey of Life quotes
जीवन-यात्रा - हिंदी कविता
Hindi Poem on Journey of Life
Journey of Life quotes
जीवन-यात्रा - हिंदी कविता
प्रणाम।
प्रत्येक जीव की जीवन-यात्रा कई प्रकार के उतार - चढाव से भरी होती है। एक पहर के छोटे से जीवन-यात्रा का एक छोटा सा दर्शन, एक रात का मुसाफिर नामक इस हिंदी कविता में करने की कोशिश की है। इस जीवन में सब एक रात के मुसाफिर ही हैं। जीवन अनमोल है किंतु इस जीवन का बिल्कुल भी कोई भरोसा नहीं है। इसलिए जीवन के इस पथ पर पथिक बनकर चलते रहना है। पता नहीं कहाँ तक पहुचेंगे किन्तु अगर चलेंगें तो कहीं न कहीं अवश्य पहुच जायेंगें।
और जब ठान ही चुका हैं तो फिर चलने में क्या डरना, वैसे भी जीवन चलने का ही तो नाम है।
इस जटिल राह पर एक राही के रूप में।
'एक रात का मुसाफिर'
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
साहस की पोटली सर,
पग बांध कर चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
निर्जन हैं और सघन हैं,
जीवन के सारे जंगल।
हर रात की तरह ही,
इस रात भी चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
डर-डर के चल न पाया,
जीवन के रास्ते पर।
है खौफ अब नदारद,
बेखौफ बढ़ चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
है नाम मेरा शामिल,
तारों के बगीचे में।
छिप जाए सारे सूरज,
चंदा सा बढ़ चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
उजालों से नहीं बनती,
अंधेरों की आजकल तो।
सितारों की भीड़ में मैं,
गुमनाम सा चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
हर रोज तमाशा है,
हर पल का झमेला है।
किश्तों में कट रहा हूँ,
सब त्याग कर चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
जो बहाव इस नदी का,
उस पार मैं खड़ा हूँ।
रूख है जिधर हवा का,
विपरीत मैं चला हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
है मिजाज में जो शामिल,
उसपर ही तो अड़ा हूँ।
तूफान में धरा पर,
चट्टान सा खड़ा हूँ।
एक रात का मुसाफिर,
तनहा ही चल पड़ा हूँ।
सचिन 'निडर'
1 Comments
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ReplyDeletePlease comment, share and follow if you like the post.
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