21वीं सदी का राष्ट्रवाद और हिंदुत्व: आदर्श या राजनीतिक औज़ार?

 

21वीं सदी का राष्ट्रवाद और हिंदुत्व: आदर्श या राजनीतिक औज़ार?


Nationalism and Hindutva,




परिचय:

भारत एक ऐसा देश है जिसकी पहचान विविधता, सहिष्णुता और लोकतांत्रिक मूल्यों से होती है। परंतु पिछले कुछ वर्षों में "राष्ट्रवाद" और "हिंदुत्व" जैसे शब्दों का ऐसा राजनीतिक उपयोग हुआ है कि इनका मूल भाव ही गुम होता जा रहा है। इन शब्दों को अब कई बार "देशभक्ति" और "धार्मिक पहचान" की बजाय, राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। 


क्या यह परिवर्तन लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है?


राष्ट्रवाद: भावना से राजनीतिक रणनीति तक

गांधी का राष्ट्रवाद: सत्य, अहिंसा, सर्वधर्म समभाव

नेहरू का राष्ट्रवाद: वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्षता, समावेशी विकास

आज का राष्ट्रवाद: “ सत्ता से सवाल पूछने वाला = गद्दार”


 बदलाव की शुरुआत:

2014 के बाद से “राष्ट्रवाद” का प्रयोग एक राजनीतिक रक्षा कवच की तरह होने लगा। सत्ता से सवाल पूछने वाला व्यक्ति टुकड़े-टुकड़े गैंग, अर्बन नक्सल, देशद्रोही करार दिया जाने लगा।

प्रभाव:

जनता का ध्यान मूल मुद्दों — जैसे बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य — से हटाकर भावनात्मक राष्ट्रभक्ति पर केंद्रित किया गया।



हिंदुत्व बनाम हिंदू धर्म:

 मूल हिंदू धर्म:

सहिष्णुता, प्रश्न पूछने की स्वतंत्रता, विविध मतों का स्वागत

आज का हिंदुत्व:

सत्ता और बहुसंख्यक प्रभुत्व का माध्यम

“हिंदू खतरे में है” जैसे भय का निर्माण

 घटनाएँ जो इस बदलाव को दर्शाती हैं:

  1. लव जिहाद कानून (2020):
  2. विशेष विवाहों को अपराध की दृष्टि से देखा गया।
  3. मदरसा सर्वेक्षण और बंदी (2024):
  4. लाखों मुस्लिम छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई।
  5. हरिद्वार धर्म संसद (2021):
  6. खुलेआम मुस्लिमों के खिलाफ नरसंहार की बातें, कोई सख्त कार्रवाई नहीं।
  7. नाम बदलने की राजनीति:
  8. सांस्कृतिक गौरव के नाम पर इतिहास मिटाना।


सोशल मीडिया और मीडिया का ‘नया राष्ट्रवाद’

गोदी मीडिया:
TV डिबेट में असहमति को “देशद्रोह” बना देना

फर्जी नैरेटिव:
WhatsApp यूनिवर्सिटी के ज़रिए "हम बनाम वे" का माहौल

ट्रोल आर्मी और आईटी सेल:
विचारकों, पत्रकारों और विरोधियों को अपमानित करना, डराना, फर्जी मुकदमे ठोकना


लोकतंत्र को कमजोर करने वाले कदम

  1. UAPA और राजद्रोह कानून का दुरुपयोग
  2. सरकार से असहमत होना = आतंकवाद का समर्थन
  3. नागरिकता संशोधन कानून (CAA-NRC):
  4. धर्म के आधार पर नागरिकता का विचार पहली बार सामने आया।
  5. बेरोज़गारी, महंगाई और किसान आंदोलन पर चुप्पी
  6. राष्ट्रवाद का प्रयोग इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए


वास्तविक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की परिभाषा क्या होनी चाहिए?

असली राष्ट्रवादफर्जी राष्ट्रवाद
संविधान में आस्था         व्यक्ति-पूजा में आस्था
आलोचना को स्वीकारना                       आलोचना को देशद्रोह कहना
सबको साथ लेकर चलना         विभाजनकारी राजनीति करना
शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य की बात         धर्म, गाय, जाति पर ध्यान भटकाना


निष्कर्ष:

“राष्ट्रवाद” और “हिंदुत्व” कोई समस्या नहीं हैं —
समस्या तब है जब इन्हें राजनीतिक सत्ता बनाए रखने के लिए तोड़ा-मरोड़ा जाए।

एक नागरिक के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम:

अंधभक्ति से बचें

सवाल पूछें

संविधान की रक्षा करें

और यह समझें कि असली देशभक्त वही है जो सत्य के साथ खड़ा होता है, सत्ता के साथ नहीं।


यह लेख किसी धार्मिक भावना को आहत करने का उद्देश्य नहीं रखता, बल्कि लोकतांत्रिक आलोचना और नागरिक चेतना को बढ़ावा देने के लिए लिखा गया है।



सचिन "निडर"

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