ऐ हुकूमत शर्म कर ले...
ऐ हुकूमत शर्म कर ले...
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
आमजन की बात कर ले,
यूं डराना बंद कर दे।
आजमाना बंद कर दे।
आमजन की बात कर ले,
यूं डराना बंद कर दे।
हम जियाले है वतन के,
फिर हमें किसका है डर,
सामने तेरे खड़े हैं,
हम तो सीना तानकर,
मस्तकों के झुंड आगे,
छलनी-आकर वक्ष कर,
ऐ सियासत रंज कर ले।
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
हुक्मरानों ये तुम्हारी,
है सियासत कुछ नहीं,
जनतंत्र के उपवनों में,
है विरासत कुछ नहीं,
इन अतीतों के जलधि में,
तानाशाही कुछ नहीं,
तू जरा कुछ कर्म कर ले।
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
है सियासत कुछ नहीं,
जनतंत्र के उपवनों में,
है विरासत कुछ नहीं,
इन अतीतों के जलधि में,
तानाशाही कुछ नहीं,
तू जरा कुछ कर्म कर ले।
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
आजकल किस्से तुम्हारे,
झूठ से भीगे हुए हैं,
दामनों में दाग कितने,
खून से भीगे हुए हैं,
संसदों में मौन साधे,
लाश बन बिखरे हुए हैं।
सारी संसद भंग कर दे,
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
झूठ से भीगे हुए हैं,
दामनों में दाग कितने,
खून से भीगे हुए हैं,
संसदों में मौन साधे,
लाश बन बिखरे हुए हैं।
सारी संसद भंग कर दे,
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
ऐ हुकूमत शर्म कर के,
आजमाना बंद कर दे।
आमजन की बात कर ले,
यूं डराना बंद कर दे।
आजमाना बंद कर दे।
आमजन की बात कर ले,
यूं डराना बंद कर दे।
सचिन 'निडर'
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