Current Situation of India





Hindi Poem on Current Situation of India











Hindi Poem on Current Situation of India




इस शहर के हैं जैसे,
हालात पता मुझको,
सरकारें हैं एक जैसी,
एहसास हुआ मुझको।
इस शहर के हैं ........

दंगों की आंच हम पर,
हर रोज चली आए,
नफरत की आंधियाँ भी,
बढ़ती ही चली जाएं,
दिन कैसे गुजरते हैं,
है भान हुआ मुझको।
इस शहर के हैं जैसे,
हालात पता मुझको।

आलम महंगाई का,
हर रोज तोड़ता है,
बेरोजगारियों का,
एहसास तोड़ता है,
टूटे ही रहें कब तक,
आह्वान किया तुमको।
इस शहर के हैं जैसे,
हालात पता मुझको।

धर्मों का बहाना क्यों,
मंदिर का बहाना क्यों,
कुछ काम हुए बोलो,
दंगों को बढ़ावा क्यों,
धर्मों में न उलझाओ,
मानव ही रखो मुझको।
इस शहर के हैं जैसे,
हालात पता मुझको।

महंगाई का दानव,
जीवन है अंधेरों में,
नेताओं का क्या है,
बिकते हैं करोड़ों में,
अघात किया हम पर,
एहसास हुआ मुझको।
इस शहर के हैं जैसे,
हालात पता मुझको।

                    "सचिन श्रीवास्तव "

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