Why Say No To Non-Veg

 




WHY SAY NO TO NON-VEG


STOP EATING NON-VEG


अब तो मुंडेरों पर परिंदे भी नही आते...


HINDI POEM




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WHY SAY NO TO NON-VEG


STOP EATING NON-VEG


अब तो मुंडेरों पर परिंदे भी नही आते...


HINDI POEM







अब तो मुंडेरों पर परिंदे भी नही आते,
उलझ गए हैं शायद शहर के जाम में।
उनको चाहने वाले बचे ही नही खाटों पर,
बना दी दूरियाँ परिंदों से भी इंसान ने।

कैद पिजरे में पंछियों की मार्मिक चीखें,
ऐ इंसान बता तेरा रंज क्या है।
तेरे लिए धरती उनके लिए है अम्बर,
तू देख कि तेरा दंड क्या है।

सिर्फ तू ही नही आजादी का चाहने वाला,
न दूजों कि साँसों पर तेरी हुकूमत।
करने दो कलरव खुले आसमाँ पर,
उनकी दुनियां को नही है तेरी जरूरत।

मत काट गर्दने बेजुबान की,
अपने बेस्वाद स्वाद की खातिर।
न चला व्यापार उनकी साँसों से,
अपने कुछ लाभ कि खातिर।

मत बांध शावकों को घर में,
वह भी तो उनके बच्चे हैं।
कोई नहीं दिखावा करना
हम तो ऐसे ही अच्छे हैं।

                           "सचिन श्रीवास्तव"

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