राजनैतिक कटु-सत्य
Political Truth
राजनैतिक कटु-सत्य
Political Truth
प्रणाम।
राजनैतिक कटु-सत्य।
राजनैतिक कटु-सत्य से आप सभी अवगत ही हैं। जो आज का दौर है वो पुराने दौर से एकदम विपरीत है। हालांकि मॉडर्न युग है तो दौर तो अलग होगा ही किन्तु अब जनता के प्रति जबाबदेही समाप्त सी हो रही है। लगता है कि एक बार सत्ता प्राप्ति के बाद राजनैतिक दल निश्चिंत हो जाते है कि वह जो चाहें वह कर सकते हैं। वह भूल जाते हैं कि लौट कर जनता के पास ही आना हैं।
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राजनैतिक कटु-सत्य क्या है कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं-
कटु सत्य इस दौर का,
लिखता नही है कोय।
राष्ट्र नाम की मुहर लगा,
मुक्ति मिले जय होय।
सत्ता मिलते रंगत बदले,
जनता को बिसरावै।
हेर-फेर कर काज दिखावै,
खुद भर मेवा खावै।
परदेशी जीवन अपनावे।
बिटवन को परदेश पढावे,
मौसम ज्यो चुनाव सर आवै,
ज्ञान स्वदेशी भर-भर बांचे।
आपस में जो बैर करावै,
भाई-भाई को लड़वावै।
दंगों की बारिश करवावै,
खुद मिल सत्ता सुख अपनावे।
हे रघुवर कुछ करो उपाय,
इनसे तो बचवावो।
काम-क्रोध और मोह विराजे,
नैया पार करा दो।
सचिन 'निडर'
2 Comments
बिलकुल सही
ReplyDeleteधन्यवाद।
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